कल तक जो सपने
थे आंखों में
आज हकीकत लगते हैं
दूर था मंजिल जो
आज करीब लगता है।।
बुझा-बुझा था मन कभी
आज जाकर जागा है
बदलाव मुमकिन है
दूसरा यह नजारा है।।
हर गीत कानों को सुहाते हैं
गाना आए या नहीं
होठ खुद-ब-खुद
गुनगुनाते हैं।।
मौसम का असर है
ठंड का प्रकोप
फकीरी में भी
रहीसी की गर्माहट है।।
कुछ नहीं है
फिर भी सब
होने का एहसास है
जिंदा रहने के लिए
एक एहसास भी
खास है।।
कोई तो पूछे मुझे
मुड़कर मैं भी देखूं
कौन है पीछे मेरे
जिसके होने की
मुझे एहसास है।।
उम्र गुजरी
सफर गुजरा
मिलो चला
बहुत पाया
बहुत खोया
कुछ है बाकी
जिसकी मुझे तलाश है।।
कोई हो जो मेरे
कंधे पर हाथ रखे
कोई हो जो मुझसे पूछे
क्या है वह जो
आप में खास है।।
भटकता रहता हूं
इस गली से उस गली
दिख जाए कोई अपना
बोले मुझसे प्रेम से
कुछ तो है तुझ में
जो खास है।।
@अजय
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रहस्य