कभी-कभी लगता है
मेरे अंदर ही संसद है
मैं ही सत्ता हूं
मैं ही विपक्ष हूं।।
हंगामा मेरे अंदर ही बरपा है
मेरा एक पक्ष
मसौदा पेश करता है
दूसरा पक्ष
खारिज करता है।।
जिंदगी संग्राम दिखता है
विपक्ष मत विभाजन
की बात करता है
सत्ता पक्ष ध्वनि मत से
विधेयक पास करता है।।
मैं किंकर्तव्यविमूढ़ हो चुका हूं
सत्ता का पक्ष लूं
या विपक्ष की सुनूं
जब रार बढ़ता है
तो टीवी बंद कर देता हूं।।
अब शीतकालीन सत्र का इंतजार है
विपक्ष मोर्चे पर खड़ा है
इधर सत्ता जिद पर अड़ा है
ऊंट किस करवट बैठेगा
कहना मुश्किल है।।
@अजय
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आंदोलन