तन्हा अकेले
अंधेरों में चुप-चाप
चला जाता हूं।।
न होश न ख़बर
अंधेरों का दामन थाम
उजालों की उम्मीद लिए
वजूद को सिंचता जाता हूं।।
न किसी से शिकवा
न ही किसी से शिकायत
बिना वजह ही
सफर के बीच में
जय घोष गये जाता हूं।।
लड़ लिया खुद से
दम तक मन भर
आगे के कहानी की
पटकथा लिखता जाता हूं।।
@अजय कुमार सिंह