मेट्रो



सोचता हूं
यह मैट्रो न होता
तो क्या होता।।









जवाब है
इतने चेहरे के
बनावट का अंदाज़
न होता।।





लेटेस्ट फैशन और
पहनावा की
समझ न होती।।





मेरे ही तरह अच्छे
पहने-ओढ़े लोग दुखी हैं
यह समझ नहीं पाता।।





नज़रों से संवाद
भीड़ में कैसे संभव है
इसका भान न होता।।





शरीर और सौंदर्य की
पराकाष्ठा से रूबरू
न कर पता।।





सब से बड़ी बात
मुनिरिका से पीतमपुरा
समय से न पहुंच पता।।
          @अजय कुमार सिंह






ajaysingh

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