नज़र




इस तरह से
देखती हो
हिल जाता हूं मैं
नज़रे नस्तर तुम्हारी
क़त्ल करती है।।
आवारा हूं मैं
आशिक क्यों
बनाती हो।।
आज वर्धा
कल पटना
आगे पता नहीं
कहाँ जाने वाला।।
खो गया अगर
तुम्हारी नज़रों
में पता नहीं मैं
कब उठने वाला।।
@अजय कुमार सिंह

ajaysingh

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