मेरी दुनिया


तुम से ही दुनिया 
तुम से ही कारवां है
तुम हाथ दिखा दो जिधर
उधर ही सारा जहां है।।

तुम जब होती हो पास
नहीं रहता खुद का अहसास 
तुम्हारी हंसी और बदमाशियों के बीच
पता नहीं चलता कब होती है दिन 
कब होती है रात।।

तुम से रौशन है घर
रौशन है जज्बात 
तुम से सीखता हूं
कैसे भुला जाता है 
हर बात।।

उम्र छोटी है लेकिन
गुरु तुम बड़ी हो
डांट पड़ती है तुम्हारी
जब नहीं सुनता हूं
तुम्हारी कोई बात।।
@अजय कुमार सिंह



ajaysingh

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